कोरबा में इन दिनों एक स्कूल की कहानी जोरों पर चल रही है—
क्योंकि यहाँ क्लासरूम में पढ़ाई से ज्यादा रिश्तेदारी ने एंट्री मार दी!
हुआ यूँ कि एक छात्र ने प्रिंसिपल को चमकते हुए कहा—
“सर, मेरे से ढंग से बात करिए… महापौर मेरी बुआ है!”
प्रिंसिपल साहब पहले ही चकरा गए—
महापौर का ठाठ राजपूत, और बच्चे का सरनेम पाल…
साहब के दिमाग में चल रहा था—
“ये गणित कौन सा है?”
पर चूँकि स्कूल है, राजनीति नहीं…
उन्होंने बच्चे को कुछ नहीं कहा।
लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया
जब छुट्टी के बाद बच्चे के पिताजी उसे लेने पहुँचे।
प्रिंसिपल ने पूछा—
“महापौर इनकी बुआ है क्या?”
बापू ने बड़ी मासूमियत से कहा—
“हाँ, इनकी बुआ है!”
अब पूरा कोरबा सोच रहा है—
ये बुआ कौन? महापौर या व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का नया कोर्स?
और प्रिंसिपल साहब आज भी स्टाफ रूम में बैठे रिश्तेदारों की नई नस्ल का अध्ययन कर रहे हैं।


