पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को नेता प्रतिपक्ष डा.चरणदास महंत और पीसीसी चीफ दीपक बैज का नाम लिए बगैर निशाना साधा। मौका पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की सोमवार को हुई बैठक का था, जिसमें प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट भी थे। इस दौरान भूपेश ने कहा कि मेरे खिलाफ बयानबाजी करने वाले के खिलाफ आज तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) से कोई कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि उन्होंने दोनों नेताओं का नाम नहीं लिया, लेकिन सभी समझ गए कि उनका इशारा किस ओर है।
पायलट दो दिन के छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं। पहले दिन उन्होंने सुबह से लेकर देर रात तक कांग्रेस नेताओं की बैठक ली। पहली बैठक पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की हुई जिसमें भूपेश ने राज्य के कुछ बड़े नेताओं की चुप्पी को लेकर अपनी कड़ी नाराजगी जताई है। भूपेश ने कहा- मुख्यमंत्री पर सीधा हमले करने से हमारे ही कुछ सीनियर नेता बचते रहते हैं। वे राज्य के मुद्दों और सरकार के खिलाफ सीधा हमला नहीं करते। ऐसे में जनता के बीच हम अपनी मजबूत मौजूदगी कैसे दर्ज कराएंगे?
टीएस का भूपेश को समर्थन|
पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा कि जब भूपेश पीसीसी अध्यक्ष थे और वे नेता प्रतिपक्ष थे, तब दोनों टारगेटेड काम करते थे। तत्कालीन सीएम रमन सिंह। जैसे भाजपा राहुल गांधी का नाम लगातार लेती है। वो नेहरू तक पहुंच जाती है। भूपेश ने इसी मसले पर बात रखी।
7 जुलाई को खरगे सभा करेंगे, सरकार की नाकामी बताएंगे: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और संगठन महासचिव वेणु गोपाल आगामी 7 जुलाई को छत्तीसगढ़ के विभिन्न मसलों तथा सत्तारुढ़ भाजपा सरकार के खिलाफ रायपुर में एक बड़ी सभा को संबोधित करेंगे। इस बारे में सोमवार को निर्णय लिया गया।
उपेक्षा से कई नेता नाराज
कुछ सीनियर नेताओं ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि उन्हें तो किसी तरह की जिम्मेदारी ही नहीं दी जा रही है। जबकि उनके पास अनुभव का लाभ लेना चाहिए। लेकिन देखने में यह मिल रहा है कि सीनियर नेताओं की ठीक से पूछ-परख नहीं हो रही है। ऐसे में समन्वय कैसे बनेगा?
बढ़ती दूरियों से उभरी भूपेश की नाराजगी
पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की बैठक में पार्टी नेताओं को घेरते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि जब तक हम मंत्रियों पर सीधे हमला नहीं बोलेंगे, तब तक हम दोबारा सरकार में कैसे आ पाएंगे। 2013 के पहले डॉ. रमन सिंह के खिलाफ कोई नहीं बोलता था। मुझे 2013 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, तब मैंने रमन सिंह को सीधे घेरना शुरू किया। 2018 में हमारी सरकार बनीं।
अगर हमें फिर से सरकार बनानी है, तो सरकार के फैसलों के साथ उनके मंत्रियों को सीधे घेरना होगा। यहां तो उल्टा हो रहा है। कई बार तो कुछ लोग पिछली कांग्रेस सरकार के खिलाफ ही बोलते रहते हैं। डेढ़ साल बाद भी पुरानी सरकार का राग अलापते रहते हैं। भूपेश की नाराजगी के पीछे की वजह जब उनके कुछ नजदीकियों से जानने की कोशिश की गई तो बताया कि विधानसभा में कांग्रेस के विधायक ही पुरानी सरकार के खिलाफ सवाल लगा रहे हैं।
मानसून सत्र करीब है, इस बार भी कई सवाल पिछली सरकार के लग रहे हैं। सदन के अंदर महंत जिस तरह से सवाल उठाते हैं, बाहर उसकी मुखरता नजर ही नहीं आती। जैसे भारतमाला में हुए घोटाले का भंडाफोड़ महंत के सवाल से ही हुआ, लेकिन बाद में न तो इसके खिलाफ किसी मंत्री को घेरा गया और न सरकार को।
भूपेश के हमले का इम्पैक्ट
कांग्रेस मंत्रियों को सीधे घेरेगी
बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया कि भाजपा सरकार के फैसलों के साथ मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर सीधे अटैक किया जाएगा। जिस मामले के लिए जो जिम्मेदार मंत्री होगा। उसे घेरने की रणनीति बनेगी। विधानसभा सत्र में सीधे मंत्रियों पर अटैक करने वाले सवाल विधायक लगाएंगे। सदन के अंदर-बाहर आक्रामक तरीके से भाजपा के डेढ़ साल में हुए घोटाले उजागर करने की रणनीति तैयार की जा रही है।


