Monday, December 23, 2024
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बंटेंगे तो कटेंगे’ — कोई नारा नहीं, सच्चाई है

सलीम ने दो दोस्तों के साथ उसकी हत्या कर दी और शव को हरियाणा में अपने ननिहाल के गांव में एक खेत में गाड़ दिया|

निश्चित रूप से बंटेंगे तो कटेंगे कोई नारा नहीं बल्कि सदियों की सच्चाई है| जब-जब हिन्दू कमजोर हुआ है, तब तब उस पर अत्याचार बढ़े हैं, उनका सफाया कर दिया गया है| कश्मीर में हिंदुओं ने ताकत नहीं दिखाई तो उनका नरसंहार हुआ| लाहौर की ७५ प्रतिशत आबादी हिंदुओं और सिखों की थी, कराची में हिंदू, सिंधी और हिंदू पंजाबी जनसंख्या के दो तिहाई थे, काबुल में १९५० तक एक तिहाई हिंदू-सिख थे, रंगून में एक तिहाई आबादी हिंदुओं की थी, सभी जगहों पर आज हिंदुओं-सिखों का सफाया हो गया| इसीलिये सरकार्यवाह होसबोले की दृष्टि में बंटने के प्रति सचेत करने का मतलब अनेकता में एकता का मंत्र है| हम जाति, वर्ग में भले अनेक हों, लेकिन इस आधार पर हम बंटे नहीं बल्कि एकजुट रहें| बांग्लादेश के संदर्भ में भारत सरकार ने वहां हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है| संघ ने उस समय भी कहा था कि हिंदू समुदाय को वहीं रहना चाहिए और पलायन नहीं करना चाहिए|

संघ की नजरों में धर्मांतरण और हिन्दुओं को विभाजित करने से हिन्दू जनसंख्या का संतुलन बिगड़ा है और वे अल्पसंख्यक होते गये हैं| इस मायने में होसबोले का उद्बोधन कोई स्वप्न नहीं, जो कभी पूरा नहीं होता| यह तो हिन्दुओं को सशक्त एवं विकसित बनाने के लिए ताजी हवा की खिड़की है| यह सामाजिक समरसता का भी जीवनमंत्र है| संघ इस संवाद को कायम रखेगा क्योंकि समाज को तोड़ने के लिए बहुत सी कोशिशें हो रही हैं, विपक्षी दल अपने राजनीतिक हितों के लिये हिन्दू समुदाय को तोड़ने एवं विभाजित करने के लिये तरह-तरह के षडयंत्र कर रहे हैं| एक बार फिर संघ ने राजनीति से परे जाकर देश को जोड़ने, सशक्त बनाने एवं नया भारत निर्मित करने का सन्देश दिया है और इस सन्देश को जिस तरह आकार दिया जाना है, उसका दिशा-निर्देश भी दिया गया है|

आरएसएस महासचिव ने कहा, महात्मा गांधी ने भी स्वराज्य का मंत्र दिया था| ’स्व’ का मतलब है ’स्वाधीनता’, राष्ट्रीय स्वत्व| यहां हिन्दुओं को अपनी परंपरा, अपनी सभ्यता, उसके अनुभवों के साथ व्यवहार करना है, आधुनिकता का पालन करना है, आधुनिकता में भी ‘स्व’ को नहीं भूलना है| इस ’स्व’ को जीवंतता देकर ही हिन्दू समाज टूटने एवं बिखरने से बच सकता है| किसी भी समाज में बिखराव की स्थिति होती है तो उसकी क्षमताओं का पूरा उपयोग नहीं हो सकता| उपयोग के लिए क्षमताओं को केन्द्रित करना जरूरी है| समाज का हर व्यक्ति अपने आप में एक शक्ति है| इस शक्ति को काम में लेने से पहले उसे एकात्ममुख करना जरूरी है| होसबोले के आह्वान का हार्द हिन्दुओं को सशक्त बनाते हुए राष्ट्र को नयी शक्ल देने का है| वास्तव में यदि हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं तो हमें अपनी सोच और अपने तौर-तरीके बदलने होंगे| जब होसबोले देश को बदलने और आगे ले जाने के लिए संकल्प व्यक्त कर रहे हैं तो फिर हिन्दुओं का भी यह दायित्व बनता है कि वह अपने हिस्से के संकल्प ले, संगठित हो|

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