बिलासपुर। कांग्रेस का ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन सत्ता पर चोट करने के बजाय अपने ही नेताओं की नोकझोंक का अखाड़ा बन गया। मंच पर जहां तालियाँ बजनी चाहिए थीं, वहां तीर-धनुष, ढाल-भाले सब चल पड़े—वो भी अपने ही लोगों के बीच।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इशारों-इशारों में अपने पुराने साथी टीएस बाबा यानी सिंहदेव पर निशाना साधते हुए कहा –
“अब कोई यह मत कहे कि हमारी सरकार काम नहीं कर पाई इसलिए नहीं बनी। सरकार तो बनी थी, लेकिन कुर्सी वोट चोरी के कारण गई।”
यह सुनते ही सभा में बैठे कई कार्यकर्ता धीरे से मुस्कुराए—क्योंकि उन्हें पता था कि यह ताना किस ओर उड़ रहा है।
दूसरी ओर, पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत पर हमला बोलते हुए साफ कह दिया –
“हमारे कार्यकर्ता कोई चमचा नहीं हैं।”
नतीजा यह हुआ कि विरोधियों से लड़ने की जगह कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता एक-दूसरे से ही भिड़ गए। सभा में आए कार्यकर्ता सोचते रह गए कि यह प्रदर्शन भाजपा के खिलाफ है या फिर कांग्रेस के भीतर ‘कुर्सी युद्ध’ का नया एपिसोड।


