छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई जमीन की नई गाइडलाइन दरें राज्य में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनती जा रही हैं। राजधानी रायपुर में आज भूमि व्यवसाय से जुड़े लोगों और कांग्रेस नेताओं ने मिलकर सरकार के खिलाफ जनसंवाद और विरोध रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और गाइडलाइन दरें वापस लेने की मांग की।
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🔥 मंत्री OP चौधरी का कांग्रेस पर सीधा हमला
राज्य के मंत्री ओपी चौधरी ने नई गाइडलाइन दरों के विरोध को कांग्रेस की साजिश करार दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि—
कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में गाइडलाइन रेट को 30% घटा दिया था।
उनके नेता दारू, कोयला और महादेव सट्टा का पैसा जमीन में निवेश करना चाहते थे।
इसलिए जमीन की दरें बढ़ने नहीं दी गईं और कम दाम पर大量 जमीन खरीदी गई।
चौधरी ने कहा कि मौजूदा सरकार की नई दरों से—
किसानों को भूमि अधिग्रहण में अधिक मुआवजा मिलेगा
मध्यम वर्ग को ज्यादा होम लोन मिल सकेगा
रियल एस्टेट सेक्टर और राज्य की अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ होगा
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🔻 कांग्रेस और जमीन कारोबारियों का जोरदार विरोध
विरोध प्रदर्शन में पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने अगुवाई करते हुए इसे अव्यावहारिक और तुगलकी निर्णय बताया।
उन्होंने उदाहरण दिया कि—
जिस जमीन की कीमत पहले ₹600 प्रति वर्गफुट थी, उसी को बढ़ाकर ₹4200 प्रति वर्गफुट कर दिया गया
5000 वर्गफुट की जमीन जिसकी बाजार कीमत करीब ₹30 लाख है
उस पर ₹20 लाख का पंजीयन शुल्क वसूला जा रहा है
दुबे ने आरोप लगाया कि—
कांग्रेस सरकार ने 5 डेसिमल तक की रजिस्ट्री पर लगा प्रतिबंध हटाया था,
लेकिन मौजूदा सरकार ने इसे फिर से लागू कर दिया है
जब तक निर्णय वापस नहीं लिया जाता, विरोध जारी रहेगा
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⚡ राजनीतिक टकराव तेज, विवाद और बढ़ने के आसार
सरकार नई गाइडलाइन दरों को आर्थिक सुधार बता रही है, वहीं कांग्रेस और जमीन कारोबारी इसे जनविरोधी, अव्यावहारिक और शोषणकारी फैसला बता रहे हैं।
जमीन मूल्य निर्धारण को लेकर ये विवाद आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।


