जब कोई राजनीतिक दल सत्ता में नहीं रहता है तब राजनीतिक दल में कई नेता हो जाते हैं और पार्टी कई मुद्दों पर एकमत नहीं हो पाती है।कोई नेता कुछ कहता है तो कोई नेता कुछ कहता है। सबके सुर अलग-अलग हो जाते हैं, पार्टी के नेताओं का व्यवहार विधानसभा के अंदर कुछ होता है और विधानसभा के बाहर कुछ होता है। कोई चाहता है विधानसभा में सरकार के प्रति नर्मी बरती जाए तो कोई चाहता है कि सरकार के प्रति विधानसभा के बाहर ही नहीं विधानसभा के भीतर भी आक्रामक रहा जाए।बिजली की दरों में बढ़ोतरी को लेकर कांग्रेस विधानसभा के भीतर व बाहर दो हिस्सों में बंटी हुई दिखी।
राज्य में जब बिजली की दरों मेंं बढ़ोतरी की गई थी तो नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरणदास महंत ने कहा था कि १८ माह में भाजपा सरकार ने तीन बार बिजली की दरों में बढ़ोतरी की है।यह जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने वाली है।यह जनता के साथ धोखा है।डॉ.महंत ने यह भी कहा था कि सरकार को बिजली मूल्य व़ृध्दि के निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए।वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने बिजली दर में ब़ढ़ोतरी पर कहा था कि यह जनता के साथ धोखा है, किसानों के साथ अन्याय है, कांग्रेस संगठन इसके विरोध में १५से १७ तक ब्लाक स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेगा।२२ जुलाई को मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने भी कहा था कि सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो कांग्रेस सड़क से विधानसभा तक विरोध करेंगी।
विधानसभा सत्र से पहले विधायक दल की बैठक के बाद मीडिया से डॉ.महंत ने कहा था कि कांग्रेस के विधायक पांचों दिन पूरी आक्रामकता के साथ विधानसभा में मौजूद रहेंगे। पांचो दिन स्थगन प्रस्ताव लाया जाएगा। खाद-बीज, बिजली दरों में बढ़ोतरी, कानून व्यवस्था,जल जीवन मिशन, जंगल कटाई, पीएम आवास, युक्तियुक्तकरण, तेंदूपत्ता संग्राहकों , आदिवासियों के मामले में सरकार को घेरा जाएगा।खाद-बीज, जलजीवन मिशन सहित कई मुद्दों पर स्थगन प्रस्ताव लाया भी गया, सरकार को घेरा भी गया,कांग्रेस आक्रामक भी रही,बिजली दरों में बढ़ोतरी के मामले में कांग्रेस ने स्थगन प्रस्ताव लाया था लेकिन कहने के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष आक्रामक होने,नारेबाजी,वाकआउट करने की जगह नरम पड़े गए।यही कम था सो उन्होंने सीएम साय के जवाब पर सरकार का धन्यवाद भी किया। एकपक्ष तो इसे कह रहा है कि डॉ.महंत ने विधानसभा मेें शालीनता व संवाद की ऐसी मिसाल पेश कर दी जैसी आज तक राज्य की विधानसभा में किसी ने पेश नहीं की थी। दूसरे विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष इससे प्रेरणा ले सकते हैं।
इसमें दो मत नहीं है कि डॉ.महंत शालीन व संवाद में यकीन रखने वाले नेता हैं लेकिन कांग्रेस में वर्तमान में बहुत से नेता ऐसे हैं जो सरकार के प्रति नरम नीति व सरकार के साथ संवाद को ठीक नहीं समझते हैं।भूपेश बघेल ने जब से छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कमान संभाली है कांग्रेस चाहे सत्ता में रहे या न रहे उसकी नीति भाजपा व भाजपा सरकार के प्रति अति आक्रामक होने की रही है। इसलिए विधान सभा के भीतक डॉ.महंत ने जो नरमी दिखाई है, उसे राज्य के बुध्दिजीवी भले ही पसंद करे लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने इसे पसंद नहीं किया है। उनका मानना है कि नेता प्रतिपक्ष बिजली दरों में बढ़ोतरी मामले मे सरकार के प्रति नरमी दिखाकर सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा करने से चूक गए।यानी नेता प्रतिपक्ष का सदन के भीतर बिजली दरों के मामले में व्यवहार ठीक नहीं था।
कई लोगों का कहना है कि उस दिन भूपेश बघेल सदन में नहीं थे, बाहर गए थे इसलिए नेता प्रतिपक्ष ऐसा कर पाए, भूपेश बघेल होते तो वह बिजली दरों के मामले में सरकार को सवालो के कठघरे में जरूर खड़ा करते, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने नेता प्रतिपक्ष के बिजली दरों के मामले में सदन के भीतर व्यवहार पर तो कुछ नहीं कहा है कि लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है कि वह इस मामले में सरकार के खिलाफ सड़क की लड़ाई लड़ेंगे। कहे के मुताबिक ब्लाक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जा चुका है। अब २२ को मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। भूपेश बघेल ने आने के बाद नेता प्रतिपक्ष के सदन के भीतर नरमी पर कुछ नहीं कहा है, उन्होंने इतना ही कहा है कि वह उस दिन प्रदेश से बाहर थे।उन्हें घटना की जानकारी नहीं है।
माना जा रहा है कि सदन के भीतर नेता प्रतिपक्ष के नरम रवैए की शिकायत तो ऊपर जरूर की जाएगी क्योंकि हाल ही में प्रदेश प्रभारी से शिकायत की गई थी कि कांग्रेस के कई नेता सरकार पर तीखा हमला नहीं करते हैं। यानी नरम रहते हैं। ऐसे में कांग्रेस अगला चुनाव कैसे जीत सकती है। अब तो शिकायत करनेवालों को नरमी का एक उदाहरण मिल गया है। यानी आने वाले दिनों में शिकायतें होंगी, एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश भी होंगी। यानी कांग्रेस बैठक में एकजुट दिखने का प्रयास करेगी और मैदान में सब अलग अलग काम करते रहेंगे।


