कोरबा के प्रमुख इंदिरा स्टेडियम में हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने खेल प्रेमियों और खिलाड़ियों दोनों को हैरान कर दिया है।
बेटे को क्रिकेट खेलने से रोका गया, जिससे सत्ता पक्ष के नेता नाराज हो गए और उन्होंने खिलाड़ियों की इंदिरा स्टेडियम में प्रवेश पूरी तरह बंद कर दिया।
इस घटना ने न केवल खेल के माहौल को प्रभावित किया है, बल्कि शहर में खेल व्यवस्था और प्रशासन के प्रति लोगों के विश्वास को भी हिला दिया है।
खेल का मैदान हमेशा से खिलाड़ियों के लिए एक ऐसा स्थान रहा है जहाँ वे अपनी मेहनत और लगन से अपनी प्रतिभा दिखाते हैं। लेकिन जब राजनीति खेल के इस पवित्र क्षेत्र में हस्तक्षेप करती है, तो खिलाड़ियों की मेहनत बेकार हो जाती है।
नेता के इस फैसले से लगभग सभी खिलाड़ियों और उनके समर्थकों में निराशा और आक्रोश व्याप्त है। खिलाड़ियों का कहना है कि राजनीति को खेल से अलग रखना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल खेल की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि युवा प्रतिभाओं का भी मनोबल टूटता है।
स्थानीय खेल अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी भी इस स्थिति से परेशान हैं। उनका कहना है कि खेल को राजनीति से बचाना बहुत जरूरी है ताकि खिलाड़ियों को उचित अवसर मिल सके और खेल को बढ़ावा दिया जा सके। इस पूरे विवाद ने शहर में खेल गतिविधियों पर एक बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।
खेल प्रेमी और समाज के लोग भी इस फैसले की निंदा कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही स्थिति सामान्य होगी और स्टेडियम फिर से खिलाड़ियों के लिए खुल जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रशासन को जल्दी कदम उठाने होंगे ताकि कोरबा के युवा खिलाड़ी बिना किसी बाधा के अपने खेल में आगे बढ़ सकें।


