कोरबा शहर में जाम अब समस्या नहीं, महामारी बन चुका है। सुबह हो या शाम—चारों रेलवे क्रॉसिंग पर ऐसा मंजर देखने मिलता है मानो पूरी शहर की रफ्तार किसी ने जंजीरों में जकड़ दी हो। मालगाड़ियों की भीड़, अतिक्रमण का आतंक और प्रशासन की चुप्पी… इन सबने मिलकर आम लोगों के जीवन को नरक बना दिया है।
हर दिन हज़ारों लोग इस जाम में फंसकर अपने कीमती घंटे गंवाते हैं, पर समाधान? सिर्फ़ कागज़ों में!
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🚨 कोरबा के जाम के चार असली गुनहगार
1️⃣ मालगाड़ियों की अंतहीन कतारें
कोयला और एल्युमिना से लदी ट्रेनें शहर के बीचोबीच इस कदर दौड़ाई जा रही हैं कि फाटक हर दस–पंद्रह मिनट में बंद हो जाता है। नतीजा—वाहनों की किलोमीटरों लंबी लाइन।
2️⃣ उषा कॉम्प्लेक्स क्रॉसिंग पर अतिक्रमण का आतंक
सर्वमंगला तिराहे से सर्वमंगला रोड तक दुकानें–ठेले–टपरों ने सड़क का आधा हिस्सा खा लिया है। गाड़ियों के लिए बचा क्या? सिर्फ़ जाम और झुंझलाहट।
3️⃣ सुनालिया पुल पर जानलेवा दबाव
जैसे ही रेलवे फाटक बंद होता है, पूरा ट्रैफिक सुनालिया पुल पर धंस जाता है। पुल पर इतनी भीड़ कि कभी भी दुर्घटना हो सकती है।
4️⃣ TP नगर और CSEB में आधा घंटा कैद
भारी लोडेड मालगाड़ियाँ अक्सर ट्रैक पर अटक जाती हैं। कई-कई मिनट तक फाटक बंद… लोग बेचैन… और प्रशासन मौन।
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🚧 समाधान कब? जनता का सब्र टूट रहा है!
सुनालिया अंडरग्राउंड ब्रिज का वादा सालों से सिर्फ़ फाइलों में घूम रहा है। तब तक कोरबा की जनता रोज़ाना इस त्रासदी को झेलने को मजबूर है।
कड़े सवाल—जवाब कौन देगा?
🔸 क्या रेलवे प्रबंधन मालगाड़ियों का समय शहर को ध्यान में रखकर तय नहीं कर सकता?
🔸 क्या नगर निगम अतिक्रमण पर कार्रवाई करने की हिम्मत जुटाएगा?
🔸 पुलिस ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने का प्लान कब लागू करेगी?
और सबसे बड़ा सवाल…
कोरबा की जनता आखिर कब अपनी दमदार आवाज उठाएगी?


