कोरबा। कांग्रेस के दौर में नगर निगम के सबसे चर्चित पार्षदों में शुमार रहे दुकालू श्रीवास्तव का फेवरेट डायलॉग था – “काम बोलता है”। राजनीति का दौर बदला, वक्त का पहिया घूमता गया और हालात ऐसे बने कि वह अपने ही मोहल्ले से पार्षद चुनाव हार गए।
लेकिन हार के बाद भी दुकालू श्रीवास्तव ने हार नहीं मानी। सियासत से दूर होकर अब वह पूरी तरह धर्म की सेवा में जुट गए हैं। सीतामढ़ी की वही प्राचीन गुफा, जहाँ मान्यता है कि वनवास काल में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण कुछ समय के लिए रुके थे, उसकी देखरेख और पूजा-पाठ का जिम्मा अब दुकालू श्रीवास्तव संभाल रहे हैं।
इस गुफा की सेवा का काम उनके पिता ने शुरू किया था। पिता के निधन के बाद दुकालू ने इसे अपना धर्म और फर्ज मानकर थाम लिया। पार्षद रहते हुए उन्होंने इस गुफा मंदिर का सौंदर्यीकरण कराया, जिसे लोग आज भी याद करते हैं।
राजनीति की भीड़-भाड़ से दूर अब दुकालू श्रीवास्तव आस्था की दुनिया में खुद को पूरी तरह समर्पित कर चुके हैं और कहते हैं – “अब मेरा काम ही नहीं, मेरी सेवा भी बोलती है।”


