चंडीगढ़. अब चाहे आपदा के बीच रेस्क्यू अभियान चलाना हो या फिर ब़ॉर्डर पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाने हों…ऑल टैरेन व्हीकल भारतीय सेना की मदद करेगा. चाहे बर्फ हो या पानी, बड़े-बड़े पत्थर या फिर रेगिस्तान और बड़े से बड़ा दलदल, सभी चुनौतियों को पार करने के लिए भारतीय सेना को एक बेहद जानदार व्हीकल मिला है.

दरअसल, चंडीगढ़ की एक डिफेंस कंपनी ने भारतीय सेना को एटौर 1200 नाम से वाहन सौंपा है. कुल 92 वाहन दिए गए हैं. एटौर-T-1200 को जेडब्ल्यूएस कंपनी ने बनाया है कि चंडीगढ़ में स्थित यह कंपनी देश की पहली ऐसी कंपनी है जो इस तरह का वाहन बनाने में कामयाब हुई है.

जानकारी के अनुसार, जहां पर सड़कें नहीं हैं, वहां पर भी यह वाहन आसानी से जा सकेगा. सेना को पेट्रोलिंग करनी हो या फिर किसी भी गंभीर स्थिति में रेस्क्यू ऑपरेशन चालना हो, वहां तक यह गाड़ी आसानी से पहुंच सकती है. कंपनी की तरफ से एनडीआरएफ को दो गाड़ियां देने की घोषणा की गई है और इसके लिए कोई भी पैसा नहीं लिया जाएगा.

गाड़ी बनाने में कितना खर्च आयाः कंपनी के डायरेक्टर जसकीरत सिंह ने न्यूज18 से बातचीत में बताया कि एक गाड़ी को बनाने में दो करोड़ रुपये खर्च आया है. रोचक बात है कि इस वाहन में कोई स्टीयरिंग व्हील नहीं है और दो लेवर के जरिये इसके अगले दोनों पहियों को कंट्रोल किया जाता है.
एरोस्पेश और डिफेंस सेक्टर में निर्माण और काम करने वाली कंपनी जेएसडब्ल्यू मोटर्स को सरकार की तरफ से 250 करोड़ रुपये में 96 वाहन बनाने के लिए प्रोजेक्ट दिया गया था और जून में कंपनी की तरफ से सेना को वाहन सौंपे गए हैं. इस वाहन की लाइफ 30 साल तक है.
कंपनी ने बताया कि एटौर-1200 की लंबाई चार मीटर के करीब है. जबकि यह 2.846 मीटर चौड़ा है. इसके बड़े बड़े टायर हैं और एक टायर ही ऊंचाई 1.8 मीटर है. वाहन की स्पीड 40 किमी प्रति घंटा है और पानी में यह 6 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है.
कितना है वजहः वाहन का वजहन 2400 किलोग्राम के करीब है., जिसमें 1200 किलो भार उठाने की क्षमता है. साथ ही यह अतिरिक्त 2300 किमी वजन खींच सकता है.
वाहन में कुल 8 लोगों के बैठने की ङमता है. साथ ही इसका इंजन माइनस 40 डिग्री से लेकर 40 डिग्री में भी चलता रहेगा. वाहन में 232 लीटर फ्यूल टैंक भी लगाया गए हैं, जो कि करीब ढाई दिन तक चल सकते है. यह व्हीकल पानी में तैरता भी है.


