रायगढ़ में 12 साल से अटकी एयरपोर्ट परियोजना एक बार फिर रफ्तार पकड़ने लगी है। लंबी देरी के कारण अब निर्माण लागत चार गुना तक बढ़ने का अनुमान है। छत्तीसगढ़ शासन के विमानन विभाग ने 6 नवंबर को कलेक्टर को पत्र भेजकर एयरपोर्ट स्थापना की प्रक्रिया तुरंत आगे बढ़ाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद कलेक्टर ने एसडीएम रायगढ़ को प्रभावित ग्रामों का सर्वे कर खसरों की सूची और लाल स्याही से चिह्नित नक्शा तैयार करने का आदेश जारी किया है।
सूत्रों के मुताबिक एसडीएम ने राजस्व निरीक्षकों व पटवारियों की कई टीमों को सर्वे के लिए तैनात कर दिया है। यह एयरपोर्ट 4सी वीएफआर कैटेगरी का प्रस्तावित है, जिसके लिए ढाई किमी से अधिक लंबा रनवे आवश्यक होता है। रायगढ़ में एयरपोर्ट न होने से उद्योगों और कारोबारियों को आज भी रायपुर या झारसुगुड़ा एयरपोर्ट के रास्ते आना-जाना पड़ता है।
राज्य सरकार ने करीब 12–13 साल पहले भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के साथ एमओयू किया था। कोंड़ातराई में घरेलू उड़ानों के लिए 4सी श्रेणी का एयरपोर्ट बनाने का प्लान था। 2013 में विमानन विभाग ने भूमि-अर्जन के लिए 20 करोड़ रुपए भी जारी किए थे।
चयनित भूमि
चार गांवों में जमीन खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर लगभग 569 एकड़ भूमि चयनित की जा चुकी है—
कोंड़ातराई : 184 किसानों की 64 हेक्टेयर
औरदा : 75 किसानों की 29 हेक्टेयर
बेलपाली : 44 किसानों की 48 हेक्टेयर
जकेला : 132 किसानों की 86 हेक्टेयर
साथ ही 23 एकड़ हवाई पट्टी की जमीन भी शामिल है।
अब निर्माण लागत हजारों करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जो पहले प्रस्तावित बजट से लगभग चार गुना अधिक है। परियोजना के सक्रिय होने से रायगढ़ को हवाई कनेक्टिविटी मिलने की उम्मीद एक बार फिर बढ़ गई है।


