जीवन के अंतिम पड़ाव में सहारे की तलाश कर रहीं 65 वर्षीय शोभा देवी को मौत के बाद भी वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी हकदार हर मां होती है। गोरखपुर के कैंपियरगंज की रहने वाली शोभा देवी की 20 नवंबर को बीमारी से मौत हो गई, लेकिन आरोप है कि उनके बेटों ने घर में शादी का हवाला देकर शव ले जाने से मना कर दिया।
🔻 चार दिन तक शव डीप फ्रीजर में रखने को कहा गया
जौनपुर स्थित वृद्धाश्रम के केयरटेकर रवि चौबे के मुताबिक, मृतका के बड़े बेटे ने फोन पर कहा कि शादी का कार्यक्रम चल रहा है, इसलिए शव को चार दिन डीप फ्रीजर में रख दिया जाए।
हालांकि, आश्रम कर्मियों और रिश्तेदारों के प्रयास से किसी तरह शव गोरखपुर भेजा गया।
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⚰️ अंतिम संस्कार की जगह दफनाया गया शव
गोरखपुर पहुंचने के बाद शोभा देवी का अंतिम संस्कार करने के बजाय शव को दफना दिया गया। घरवालों ने कहा कि चार दिन बाद मिट्टी से निकालकर संस्कार किया जाएगा।
पति भुआल गुप्ता इस बात से टूट गए। उन्होंने कहा—
“चार दिन में शव कीड़े खा जाएंगे, फिर कौन-सा संस्कार होगा? क्या इसी दिन के लिए हमने बच्चों को पाला था?”
उन्होंने बताया कि घरेलू विवाद के चलते दो साल पहले बेटों ने उन्हें और उनकी पत्नी को घर से निकाल दिया था। दुखी होकर दोनों ने राजघाट जाकर आत्महत्या की कोशिश भी की थी, लेकिन किसी ने समझाया तो पति-पत्नी को जौनपुर स्थित वृद्धाश्रम में सहारा मिला।
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🔄 गोरखपुर आने के बाद पति ने बदला बयान
जब पत्नी का शव गोरखपुर लाया गया, तो भुआल गुप्ता ने अपना बयान बदलते हुए कहा कि—
“घर में 4 और 5 दिसंबर को शादी थी, इसलिए मजबूरी में शव को दफन करना पड़ा। शादी के बाद पत्नी का प्रतिकात्मक पुतला बनाकर अंतिम संस्कार करेंगे।”
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🟥 घटना ने इंसानियत को झकझोर दिया
शोभा देवी की पूरी कहानी समाज में बढ़ती संवेदनहीनता की दर्दनाक मिसाल बनकर सामने आई है—
बीमार मां वृद्धाश्रम में अंतिम समय गुजारने को मजबूर
मौत के बाद बेटों का शव लेने से इंकार
अंतिम संस्कार की जगह दफनाकर बाद में संस्कार का वादा
पति की बेबसी और दो साल पुराना पारिवारिक विवाद
यह घटना कई सवाल खड़े करती है कि जब मां-बाप ही अपने बच्चों के लिए बोझ बन जाएं, तो समाज किस दिशा में जा रहा है।


