कोलकाता। एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी में चुनाव आयोग के SIR (Special Intensive Revision) को लेकर तनाव लगातार बढ़ रहा है। अब महिलाओं से 2003 की वोटर लिस्ट का रिकॉर्ड मांगा जा रहा है, जिसने स्थिति और चुनौतीपूर्ण बना दी है।
कमरों में रखे पुराने बक्शे खोले जा रहे हैं, धूल में दबे कागज़ निकाले जा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर सेक्स वर्कर 2003 का कोई भी पहचान-संबंधी सबूत खोज नहीं पा रहीं।
क्यों बढ़ा संकट?
SIR प्रक्रिया में इस बार 2003 की वोटर लिस्ट को बेसलाइन बनाया गया है।
मतलब—
जो भी नया वोटर नाम जोड़ना चाहता है, उसे यह साबित करना होगा कि
उसका,
या उसके माता-पिता/परिवार का नाम
2003 की वोटर लिस्ट में मौजूद था।
लेकिन सोनागाछी की महिलाओं के लिये यह लगभग असंभव
यहाँ रहने वाली अधिकांश महिलाओं के पास
परिवार के दस्तावेज़ नहीं
खुद का कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं
कई महिलाएं ट्रैफिकिंग के कारण आईं
कई घर से भागकर आईं
2003 में वे कहाँ थीं?
उनके माता-पिता कहाँ थे?
उनका नाम किसी लिस्ट में था भी या नहीं?
इन सवालों के जवाब किसी के पास नहीं।
जिनके पास परिवार की जानकारी है, वे सामाजिक शर्म और अपने पेशे के खुलने के डर से घरवालों से डेटा मांग ही नहीं पातीं।
पहचान खोने का खतरा
2003 की वोटर लिस्ट में नाम साबित न कर पाने की स्थिति में
फॉर्म रिजेक्ट हो रहा
वोटर लिस्ट में नाम जुड़ नहीं रहा
और पहचान का संकट गहरा रहा है
महिलाओं का कहना है—
“2003 में हम कहाँ थे, ये भी साबित करने के लिए कागज़ चाहिए… वो कागज़ हमारे पास है ही नहीं।”


