कोरबा शहर की सड़कों की बदहाल स्थिति को लेकर अब जनप्रतिनिधि भी खुलकर सामने आ गए हैं। नगर पालिक निगम कोरबा के सभापति नूतन सिंह ठाकुर ने कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को ज्ञापन सौंपते हुए चेतावनी दी है कि यदि शहर के मुख्य प्रवेश मार्गों की मरम्मत 7 दिनों के भीतर नहीं की गई, तो आम जनता के साथ मिलकर आंदोलन किया जाएगा।
सभापति ने कहा कि गौ माता चौक, ईमलीछापर चौक और कटघोरा रोड की सड़कों की स्थिति अत्यंत जर्जर हो चुकी है। इन मार्गों पर रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैं और दुर्घटनाओं की घटनाएं आम हो गई हैं। सोशल मीडिया पर आए दिन लोगों के गिरकर घायल होने के वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिससे शहर और सरकार दोनों की छवि खराब हो रही है।
सभापति ठाकुर ने कहा —
> “शहर के मुख्य प्रवेश मार्गों की यह दुर्दशा अब बर्दाश्त के बाहर है। यदि 7 दिनों के भीतर इन मार्गों की मरम्मत नहीं हुई तो हम जनता के साथ सड़कों पर उतरेंगे।”
🚧 सड़क निर्माण में लापरवाही पर तीखा हमला
सभापति ने पीडब्ल्यूडी विभाग और नगर निगम के अधिकारियों पर कर्तव्य विमुखता और लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि “बारिश का बहाना बनाकर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। जब देशभर में इंजीनियर बारिश और पानी के बीच बड़े प्रोजेक्ट पूरे कर रहे हैं, तो कोरबा में सड़क की मरम्मत क्यों नहीं हो सकती?”
उन्होंने सुझाव दिया कि अगर पीडब्ल्यूडी विभाग मरम्मत नहीं कर पा रहा है तो खनिज न्यास मद से राशि स्वीकृत कर नगर निगम को कार्य एजेंसी बनाया जाए ताकि नगर निगम स्वयं सड़कों की मरम्मत और रखरखाव कर सके।
💬 खनिज न्यास मद के उपयोग पर सवाल
सभापति ठाकुर ने यह भी कहा कि कोरबा जिले में खनिज न्यास मद से हर साल लगभग 600 करोड़ रुपए का राजस्व आता है, लेकिन उसका अधिकांश हिस्सा दूरस्थ इलाकों में अनुपयोगी योजनाओं पर खर्च हो रहा है, जबकि शहर की आधी आबादी नगर निगम क्षेत्र में निवासरत है और सड़कें जानलेवा बनी हुई हैं।
“खनिज न्यास मद का उपयोग शहर की जरूरतों के लिए किया जाए। सड़कों की मरम्मत के लिए टास्क फोर्स बने, जो शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई करे।”
⚠️ जनता में आक्रोश
सभापति ने कहा कि कोरबा शहर के मुख्य एंट्री प्वाइंट्स की हालत इतनी खराब है कि आने-जाने वाले यात्रियों के मन में शहर की नकारात्मक छवि बन रही है। गौमाता चौक और इमलीछापर में स्थानीय लोग कई बार चक्काजाम और विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं, फिर भी सड़कों की हालत जस की तस है।
> “अधिकारियों की निष्क्रियता से हर साल सड़कों की हालत खराब होती जा रही है। अब जनता और जनप्रतिनिधि मिलकर जवाब मांगेंगे।”


